पिछले दिनों अपने ब्लाग से दूर रही कोई अलगाव, नहीं नहीं ना तो अपने से और ना ही अपने ब्लाग से बस कुछ परिस्थितियों ने आकर यूँ घेरा कि मेरे विचार उन्हीं के इर्द गिर्द सिमट कर रह गये कई बार मन हुआ कि कुछ लिखा जाये, लेकिन तभी विचार सिगरेट के धूयें से आकर सिर्फ अपनी गन्ध छोङ जाते
मुझे लेखन से बहुत प्यार है, कई बार विचार शांत खरगोश से मेरे मन के गलीचे मे छलांग मारते है, और तब में उसकी सुदंरता का बखान अपने लेखन मे कर देती हूँ
अब इंतजार कर रही हूँ कि कब वो खरगोश दिखाई दे, तब तक तलाश जारी रहेगी