तुमने दबाया, जब जब भी मुझे
मैं नागफनी जैसी उग ही आउंगी
जब जब काटोगे, छीलेंगे हाथ तुम्हारे भी
घाव मेरे भर जाएंगे किसी दिन
घाव तुम्हारे नासूर बनकर
सतायेंगे दिन रात तुम्हें
तुम्हारा अभिमान डिगा ना पायेगा
मेरा स्वाभिमान कभी
तुम फ़ौज जो दुराचारी सी
मैं अकेली निहथ्ही सही
अबला - अभागी नहीं
तुम्हें संदेह होगा कभी
शायद गुमान भी हो जाए
की थक गयी हूँ या हार मान ली है मैंने
ये शंका के बादल हटा लेना जल्द ही
और दोहराना कई मर्तबा
जब जब भी कभी काटोगे मुझे
उग ही आउंगी नागफनी जैसी
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