Thursday, September 14, 2006
सपनें
(१)
जिन चिटीयों को
पैरों तले
दबा दिया था
मैंने
कभी अनजाने में
वो अक्सर
मुझे मेरे
सपनों मे आकर
काटतीं हैं
उनके डंक
पूरे शरीर मे
सुई से चुभकर
सुबह तक
देह के हर
हिस्से को
सूजन मे
तबदील कर देते हैं
ऐसा अक्सर
होने लगा है आजकल
पता नहीं क्यों....?
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)