Friday, June 16, 2006
(1)
कागज़ के
टुकङों पर
लिखना
फिर
लिखकर उन्हें
एक साथ
करीने से जोङना
अच्छा लगता है
तुम ही ने तो
सिखाया था
ये गुर
या फिर
तुम्हें ऐसा
करते देख
सीखती चली गई
जो भी है
ये आज तक
आदत में
शामिल है
तुम्हारा नाम
लेने की तरह
Wednesday, June 07, 2006
तुम मुझे
बिलकुल पंसद नहीं
लेकिन फिर भी
तुम्हारा जिक्र
अक्सर
मेरी बातों मे
आ जाता है
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