सोचा भाग चलूँ, दिल्ली छोङ मुम्बई, फिर मुम्बई से बैंगलौर, आसाम, जयपुर, गुजरात और कहाँ - कहाँ भागूँ... थक गई हूँ जिन्दगी को बचाते। सभी तो थक गये हैं, डरे हुये हैं, आतंकित है, अपनों के लिये, अपनों के अपनों के लिये और फिर भविष्य के लिए भी तो।
हमेशा से तो ऐसा ही हुआ है, आज घटना घटी और कुछ समय बाद सब कुछ पहले सा... लेकिन एक डर घर किये जा रहा है, कचोटता है भीतर तक, सोने नहीं देता रातों को, बेचैन कर देता है सपनों में।
कोख मे पल रहे बच्चे कि आवाज़ सुनाई देती है. माँ, माँ सुन रही हो?? क्या करूगाँ इस दुनिया में आकर यहाँ मैं सुखी हूँ, सुकून और इत्मिनान से हूँ। क्या करूगाँ तुम्हारी दुनिया में आकर वहाँ तो सिर्फ घृर्णा है, पाप है, आतंक है, भ्रष्टाचार है, क्या तुम खुश होगी मुझे इन सबके बीच पाकर।
क्या सच ये विधी का विधान है, सृष्टी का अंत या कुछ और हम सब परेशान हैं, अभी कितने दिन और? क्या लौट नहीं सकते सुकून भरे दिन, कितने दिन और? क्या ये इंतजार खत्म होगा या उससे पहले ये सृष्टी नष्ट हो जायेगी. किसे मालूम??
पता नहीं आदमी क्या चाहता है, कहाँ भाग रहा है क्या पता?? आदमी आज चांद पर है, अंतरिक्ष में है लेकिन सुकून कहीं नहीं कहीं भी नहीं....
आदमी भगवान से जाने क्या क्या माँगता है, लेकिन अमन, चैन, शान्ति और सुकून... नहीं माँगता पता नहीं क्यों?? पता नहीं क्यों???
हमेशा से तो ऐसा ही हुआ है, आज घटना घटी और कुछ समय बाद सब कुछ पहले सा... लेकिन एक डर घर किये जा रहा है, कचोटता है भीतर तक, सोने नहीं देता रातों को, बेचैन कर देता है सपनों में।
कोख मे पल रहे बच्चे कि आवाज़ सुनाई देती है. माँ, माँ सुन रही हो?? क्या करूगाँ इस दुनिया में आकर यहाँ मैं सुखी हूँ, सुकून और इत्मिनान से हूँ। क्या करूगाँ तुम्हारी दुनिया में आकर वहाँ तो सिर्फ घृर्णा है, पाप है, आतंक है, भ्रष्टाचार है, क्या तुम खुश होगी मुझे इन सबके बीच पाकर।
क्या सच ये विधी का विधान है, सृष्टी का अंत या कुछ और हम सब परेशान हैं, अभी कितने दिन और? क्या लौट नहीं सकते सुकून भरे दिन, कितने दिन और? क्या ये इंतजार खत्म होगा या उससे पहले ये सृष्टी नष्ट हो जायेगी. किसे मालूम??
पता नहीं आदमी क्या चाहता है, कहाँ भाग रहा है क्या पता?? आदमी आज चांद पर है, अंतरिक्ष में है लेकिन सुकून कहीं नहीं कहीं भी नहीं....
आदमी भगवान से जाने क्या क्या माँगता है, लेकिन अमन, चैन, शान्ति और सुकून... नहीं माँगता पता नहीं क्यों?? पता नहीं क्यों???
16 comments:
Sawaal buniyadi hain magar hain bade bade jatil !!!!
marmik awalokan.........
" क्या करूगाँ तुम्हारी दुनिया में आकर वहाँ तो सिर्फ घृर्णा है, पाप है, आतंक है, भ्रष्टाचार है, क्या तुम खुश होगी मुझे इन सबके बीच पाकर।"
बेहद मार्मिक सवाल है ! आज सभी की यही चिंता है ! हर इंसान यही पूछ रहा है !
रामराम !
मार्मिक आलेख!सच--सवाल केवल सवाल????
sangita ji,aapko padhna sukhad raha.
jab gam aapke sangi sathi ban jayein to bajaye unse bhagne ke unko apna lena munasin hai.
nahin to dusra jo jyada behatar upay hai ki khud maidan mein utar jayein.
pahla kayaron ke liye hai,sometime jab ham kuchh kar pane layak nahin hote,par dusra kranti ki taraf jata hai.
in buniyadi sawalon ka jawab ek KRANTI mein chhupa hai.
ALOK SINGH "SAHIL"
यक्ष प्रशन है संगीता जी !
आप के सवाल का जबाब शायद कोई ना दे सके, क्योकि इस समय हम जिन्हे वोट दे कर अपनी सुरक्षा का जिम्मा देते है वही हमारे दुशमन भी हैम हमारी कुर्बानियो का मजाक उडाते है, अपने आप को हमारा राजा मानते है, इस लिये आप के सबाल का जबाब आम भारतीया के पास नही होगा सभी दुखी है ओर इसी जबाब को ढुढ रहे है.
धन्यवाद
achcha likha hai aapney
http://www.ashokvichar.blogspot.com
आप के सवाल का जबाब तो हम सब कॊ चाहिये....
धन्यवाद
शायद ही लौटें सकून भरे वे दिन!
Agreed, you are right but any how I feel that, "for peace we all have to join hands together and fight with the system".
Take care and keep writing :)
कोख मे पल रहा बच्चा आने वाला कल है...और वही हमारी उम्मीद भी कि वो सुबह कभी तो आएगी जब तमाम औरतों की कोख में पलने वाले बच्चे कह रहे होंगे कि मॉं तुम्हारी रंगीन दुनिया में आने को मैं बेताब हूं...
भागना डरना हल नहीं
हलाहल पीना ही हल है
हल है तो हलचल है
हलचल ही हलचल है।
aapki kavita bahut sundar hai , aur jeevan ko jeene ka sabak deti hai ..
aapne ek aisi baat kahi hai , jo dil ko takleef pahunchane waali hai ..
" क्या करूगाँ तुम्हारी दुनिया में आकर वहाँ तो सिर्फ घृर्णा है, पाप है, आतंक है, भ्रष्टाचार है, क्या तुम खुश होगी मुझे इन सबके बीच पाकर।"
ye kathan apne aap mein ek bahut bada prashanchinh hai ..
marmik rahchna ke liye badhai.
pls visit my blog : http://poemsofvijay.blogspot.com/
thanks & Regards,
Vijay
बहुत अच्छा लिखा है...आदमी भगवान से जाने क्या क्या माँगता है, लेकिन अमन, चैन, शान्ति और सुकून... नहीं माँगता पता नहीं क्यों?? पता नहीं क्यों???
बहुत सही प्रश्न है।
आपको परिवार और इष्ट मित्रों सहित होली की शुभकामनाएं और घणी रामराम
आदर सहित
ताऊ रामपुरिया
जिसने दुनिया अभी देखि ही नही उस मासूम से कहती -'मेरी नन्ही चिरैया,मेरे नन्हे से चूजे आओ देखो ये दुनिया कितनी खूबसूरत है,यहाँ प्यार है. दोस्ती है,रिश्ते हैं . बहुत सरे अच्छे लोग हैं जिनसे ये धरती खूबसूरत है. बुरे लोग भी हैं पर उनसे बचना,उनसे निपटना मैं सिखाऊँगी तुम्हे.जानते हो पूरे ब्रहमांड में सबसे भाग्यशाली हमारी धरती ही है,जिसकी ख़ूबसूरती को देखने के हम सब कई बार जन्म लेंगे. डरों मत,वो तो मैं खराब मूड में होती हूँ न तो यूँही कह देती हूँ,मेरे बच्चे बाकि....ये दुनिया बहुत बहुत बहुत ही सुंदर है.
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