Saturday, March 15, 2008

तुम्हारी याद

आज तुम
बहुत याद आ रहे हो
ये शायद गलत हो कि
तुम्हें अपने
ख्यालों तक में लाँऊ
पर मजबूर हूँ
अपने दिल के हाथों

दुनिया भर कि
गलत आदतें थीं तुम में
तभी तो
नकार दिया था तुम्हें
और तुम्हारे प्यार को

लेकिन आज
अहसास होता है
कि काश
तुम होते मेरे पास
प्यार से अपना हाथ
मेरे माथे पर फिराने
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5 comments:

रवीन्द्र प्रभात said...

सुंदर अभिव्यक्ति !

अमिताभ मीत said...

बहुत ख़ूबसूरत. कितना सरल. कितना सहज. कितना ख़ूबसूरत.

अबरार अहमद said...

बहुत सुंदर

Anonymous said...

Apnapan sa lag raha hai kavita ke saath

Piyush (पश्चिम का सुरज) said...

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !