माँ से कहती रही कई बार क्या जरुरी है हल्दी रोली के बंधन में बंधकर जिन्दगी बिताना माँ समझाती लाडो ये जरुरी नहीं लेकिन दुनिया कि रीत है, सभी बेटियाँ अपना घर बसाती हैं, और एक ना एक दिन बाबुल का घर पीछे छोङ जाती हैं मैं, माँ को ङूढती रहती सास में और कोसती रहती दुनिया कि इस रीत को
बेटा दर्द को पी लेना चाहिये ये माँ कि दी गईं कई सीखों में शामिल था बस इन्हीं चंद शब्दों के सहारे सारी पीढा सह लेती खुश रहती ये देखकर की माँ मुझे खुश देखकर खुश हैं
अतह: पीङा की सीमा भी आई, मुझे स्ट्रेचर पर "आपरेशन थियेटर" की ओर ले जाया जा रहा था मैं डाक्टर और नर्सों से घिरी, कभी अपने भगवान को याद करती तो कभी माँ को कही वो बात "क्या जरुरी है हल्दी रोली के बंधन में बंधना" बीच बीच में नर्स माँ कि तरह मुझे सहलाने लगती डाक्टर हिदायती लिहाजे से बोलने लगते "काम डाउन" "पुट सम प्रेशर" बस कुछ देर और, थोङी हिम्मत रखो मुझे अहसास होने लगता ये मैं कहाँ फंस गई, मेरी जान मानो आफत में थी
तभी बच्चे के रोने कि आवाज़ से "आपरेशन थियेटर" ग़ूज़ं उठा, मेरी भी जान में जान आई नर्स ने मुबारकबाद दी डाक्टर भी बोले कौग्रट्स तुम्हें प्यारी सी बिटिया हुई है
7 comments:
Dear Sangeeta,
Bahut hi accha likha hai… kahne ko chand lines hai but bahut kuch kah gayi ho tum.
Shruwaat me laga ki tum apni jindagi ka ek meeta sa ahsaas baatna chahti ho lekin beech me aate-aate har ladki ki kahani si lagi aur anth ka ahsaas bahut hi accha aur sukhad tha….hasay bhi tha ki aankho me paani utar aaya…
Bahut hi accha…keep it up…
Your Best Friend,
दो बधाईयाँ-
अच्छी पोस्ट के लिये भी- बहुत दिनों के बाद
क्या कहूँ…
बस अहसास कर सकता हूँ…।
ऐसे अनुभवों का दर्ज किया जाना वाकई बहुत महत्वपूर्ण है ।
अच्छी पोस्ट !
आपको sandoftheeye.blogspot.com के ब्लॉग रोल मे शामिल किया है ।
pahli baar maine aapka blog bhraman kiya....
aapki is marmik rachna ke liye mere paas shabdo ki kami mahsoos ho rahi hai
deepak
कुछ लोगों ने आपके इस अनुभव को एक मार्मिक रचना कहा है. मेरी समझ में यह जीवन की पूर्णता की और एक कदम है. आपकी माँ ने अपने अनुभव के आधार पर आपको सीख दी. आपने उसे मान लिया. अब आप माँ बन गई हैं. आप अपनी बेटी को क्या सीख देंगी?
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