Friday, May 20, 2011

सुख

तुम समझती नहीं हो तुम्हारे मम्मी - पापा नहीं मानेगे, चलो हम घर से भाग कर शादी कर लेते हैं. लड़का जिद्दी बच्चों की तरह उसका दिमाग खाए जा रहा है. क्यों नहीं मानेंगे उन्हें मानना होगा ये मेरी जिंदगी है. में कुछ भी करूँ, लड़की आत्मविश्वास से भरी, पूरी दुनिया से लड़ने को तैयार खड़ी है. चलो रिक्सा कर लेते हैं धूप बहुत है. तुम पहले ठीक से बोलना सीखो सा नहीं शा, लड़की झुंझला कर बोलती है. उसकी झुंझलाहट शा को सा बोलने पर थी या मम्मी - पापा ने ना मानाने पर ये कहना थोडा मुश्किल है....

लड़का झेंप जाता है, ठीक है तुम इतना क्यों चिढ रही हो. लड़की के मुख के भाव अब भी जस के तस बने हुए हैं. जब देखो फटीचर बने रहते हो, कम से कम मुझ से मिलने आते हो तो ढंग के तो बनकर आया करो. क्या सिर्फ यही काला कुर्ता है तुम्हारे पास एक तो रंग काला और रही सही कसर ये काला कुर्ता निकाल देता है. Fair and Handsome लगाना शुरू किया.. की नहीं. लड़की बिना रुके हिदायतें दिए जा रही है. शायद वो कोई भी ऐसा point नहीं छोड़ना चाहती थी जिससे की उसके घर वाले ना माने.

उन्होंने रिक्शा कर लिया है, और थोड़ी ही देर में वे धीरे धीरे आँखों से ओझल हो गये.

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1 comment:

अनिल पाण्डेय said...

थोड़ी खट्टी थोड़ी मीठी, यही है जीवन की कहानी