Friday, August 26, 2011

तारीख २२ अगस्त, दिन सोमवार, शाम के ०४:३० का समय में भी अन्ना के आन्दोलन की भागीदार बनना चाहती थी, सो इस आन्दोलन को प्रत्यक्ष रूप से महसूस करने पहुँच गयी रामलीला मैदान लोगो से खचा-खच भरा मैदान देख कर मन गदगद हो गया... लगभग सारे भारतवर्ष के लोग इस आन्दोलन का हिस्सा बनना चाहते थे दिल में जोश लिए और आँखों में तमन्ना की जनलोकपाल बिल आ गया तो वाकई भारत की कुछ और तस्वीर होगी... घर से सोचकर आई थी की शायद १ घंटा ही रुक पाऊँगी लेकिन मन ही नहीं हुआ की वहां से निकला भी जाए

कुछ लोगो से बात हुई तो मालूम हुआ की लोग जाने कहाँ कहाँ से आये हैं. अपना घर, बच्चे और नौकरी (छुटी नहीं मिली) छोड़कर उन्ही लोगो में से एक महेश पाल भी थे, अहमदाबाद से आये हैं... जब रामदेव बाबा का अनशन था तब भी आये थे... बताते हैं की वो प्रत्यक्ष साक्षी हैं पुलिस के डंडो के... उनका मानना भी यही है की जो उस रात हुआ वो गलत था. महेश उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं लेकिन रहते अहमदाबाद में हैं. जींस की पैंट सिलने की दुकान चलाते है शादी नहीं की है और आगे करने का भी इरादा नहीं है, वैसे परिवार है, माँ पापा बड़े भाई भाभी और उनके बच्चे.

मैंने पूछा आप यहाँ क्यों आये हैं, तो बोले पिछले कई दिनों से टीवी पर देख रहा था... लेकिन वहां रुका ना गया तो चला आया. महेश बताते हैं की वे रोज पूजा करते समय भगवान से यही दुआ करते थे की कुछ तो करो इस भ्रष्टाचार का... और आज उनकी दुआ कबूल हुई मालूम पड़ती है... अब जब तक जनलोकपाल नहीं आ जाता और अन्ना जी अनशन नहीं छोड़ते वो यहाँ से कहीं नहीं जाने वाले...

सच रामलीला मैदान में जो देखने को मिला वो सब, उम्मीदों से कहीं ऊपर था सभी उम्र, प्रान्त, जात, धर्म के लोग मौजूद थे वहां. अन्ना जी बार बार यही दोहराते हैं की उनको इन लोगो को देखकर ऊर्जा मिलती है... ये सच है... वही ऊर्जा का प्रवेश मैंने अपने भीतर भी महसूस किया..

यहाँ ब्लॉग में ये सब लिखना इसलिए जरुरी हो जाता है की में इस आन्दोलन को हमेशा अपनी यादों में संजोकर रखना चाहती हूँ. बताना चाहती हूँ की में भी इसका हिस्सा रही हूँ... क्या आप थे वहां??

3 comments:

Bhawna said...

Bahut sahi, ki ek umeed si jaagi hai, ek naya aur behteerin Bharat dekhne ko milega..

Corruption, har jagah, har vyakti me bilkul deemak ki tarah fail gaya hai aur chipak bhi gaya hai.. bina paise khilaye kuch kaam kahi hota hi nahi.. hum bhi shikaar hai iske..shayad majboor hai ye sab karne ke liye..ek example latest hai mere paas.. marriage certificate banvane ka...dalal 10000 rupees maang raha tha..socha thoda kam maangta to usi se banva leti hu..koun sarkari kaamo ke chakkar me phase, baar-baar jaane ke..but mann nahi mana aur khud koshih kari to mahaj 500 rupees me bangaya...

aise hi bahut example honge sabke paas...isliye shayad waha lakho log pahuche hai Anna ka saath dene ke liye...ek awaz ban kar...me abhi tak nahi gayi hu lekin bahut mann hai jaane ka aur koshish karungi ki me bhi Garv se kah saku ki Janlokpal Bill banane me mera bhi yogdaan raha....

Anna Hazaare, Jindabaad....

विजेंद्र एस विज said...

अफ़सोस ..की प्रत्यक्ष रूप से इस ऐतिहासिक आन्दोलन का हिस्सा नहीं बन सका..पर किसी न किसी माध्यम से .अपने आपको
इससे जुडा हुआ पाया...अक्सर सोचा करता था की बापू ने कैसे किया होगा ए सब..लेकिन अन्ना की मुहीम से तस्वीर साफ़ हो गयी.. मन के अनसुलझे सवाल मिल से गए.. यह पोस्ट मन को झकझोर सी गयी की हम प्रतयक्षदर्शी क्यूँ न बन सके....
अन्ना शक्ति की कल्पना नहीं की थी...प्रसून जोशी ने गज़ब का लिखा है...

लो मशालो को जगा डाला किसी ने

आग बेवजह कभी घर से निकलती ही नहीं है
टोलिया जत्थे बना कर चीखते चलती नहीं है

रात को भी देखने दो आज तुम सूरज के जलवे
जब तपेगी ईंट तब ही होश में आयेंगे तलवे

तोड़ डाला मौन का ताला किसी ने
भोले थे अब कर दिया भला किसी ने

लो मशालो को जगा डाला किसी ने |

sunita said...

I could not make it to reach there . but I made all possible ways to be in touch with Ramleela ground. being there would have been a great experience really...