Friday, March 10, 2006

"सुनहरे अध्याय"

वर्तमान की दौङ में
अतीत के कई
सुनहरे अध्याय
कोसों लम्बी दूरीयों में
तबदील होकर
पीछे छूट गये

अध्याय - ०१
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याद
आ रहा है आज
वो बरगद का पेङ
और
उसकी छाँव में
कच्ची मिट्टी से बना
छोटा मंदिर

जो हमेशा
बरसात में
काई से जडा
कोनों से
हरा हो जाता था

माँ-पपा की डाँट
की शिकायत करने
मै अक्सर
वहीं जाती थी

याद है मुझे
माँ उन महीनों में
आने वाले हर व्रत
के दिन
भगवान के साथ
उस बरगद को भी
पूजती थी

और
उस बरगद का तना
लाल पीले धागों से लिपटा
बहुत सुन्दर लगता था


अध्याय - ०२
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माँ
तुमने ही बताया था, शायद
वो पपा की साईकिल
और
तुम्हारी अंगीठी
बेच दी कल
कबाङी वाले को
कबाङ के दाम
ये वही साईकिल थी ना
जिसपर बैठकर
पपा रोज़
आफिस जाया
करते थे
और तुम
उन्हें पुराने
अखबार के टुकङे में
रोटी बाँध कर
दिया करतीं थीं

और याद है
एक बार
ज़िद्द कर में
उसके पीछली
सीट पर
बैठ गई थी
और पहिये में आकर
मेरा दुप्ट्टा फट गया था
बहुत डाँटा था
पपा ने उस दिन


अध्याय - ०३
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और वो अंगीठी
जिस पर रखे
कोयलों को
फूँकते - फूँकते
तुम्हारी आँखें
आँसूओं से भरकर
लाल हो जाया करती थीं

तुम
हर शाम
घर के बाहार बने
आँगन में उसे
जलाती
और वही
समय होता जब
हम सब बच्चे
मिलकर
ऊँच-नीच का पपङा
खेलते
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7 comments:

Pratik Pandey said...

संगीता जी, हिन्दी ब्लॉग जगत् में आपका हार्दिक स्वागत है। आपकी कविताएँ पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।

अनुनाद सिंह said...

आपकी कविता सादे जीवन की पवित्रता को प्रतिबिम्बित करने में पूर्णत: समर्थ रही है | बहुत अच्छी लगी |

हिन्दी चिट्ठा-जगत में आपका सादर अभिनन्दन !!

अनुनाद

jai hanuman said...

बहुत अच्छा। लिखती रहें। हम पढते रहेंगे।

renu ahuja said...

संगीता,
वर्त्मान की दौ़ड में,
जिन अतीत के दायरोंं को
समेट लिये हैं तुमने कविता में,
वो अब भी
एक वर्त्मान बन कर
सांस ले र्हे होंगे,

किसी और घर में,
किसी आंगन मे,
फ़्र्क बस इन्ता है की
तुम्ने समेट लिया इनकि
सुनह्री याद को कविता बना कर
और बाकी याद तो कर्ते होंगे
य्ही सबएक आह भ्र कर.
..........बहुत सुंद्र हैं ये सुन्हरे अध्याय, आप्की अगली कविता का इंत़ज़ार रहेगा.

Anonymous said...

संगीता, हिन्दी ब्लॉग जगत् में आपका हार्दिक स्वागत है। अच्‍छी कवितायें लिखी हैं।

Anonymous said...

Wah Sangeeta, bahut hi badiya likha hai... bahut hi sahajta ke saath takriban har ghar ki kahani ko vyakt kiya hai...

Mubarak ho....

Tumhari Bhawna

अनूप भार्गव said...

यादों की सुन्दर अभिव्यक्ति है ।