Wednesday, March 08, 2006

दायरे.....


वो दायरे
तुम्हीं ने तो बनाये थे


हमारे रिश्ते के बीच
और आज


तुम ही पूछते हो

क्यों तुम
इतनी पराई लगती हो...??

2 comments:

अनूप भार्गव said...

अच्छी कविता है संगीता ।
आज ही तुम्हारा ब्लौग देखा । बधाई ...

संगीता मनराल said...

शुक्रिया अनूप जी,