Tuesday, November 28, 2006

"सिर्फ तुम्हारे लिये"

(१)

तुम्हारा आना यूँ
बेधङक मेरी जिन्दगी मे
कोई इत्तेफाक तो नहीं

तुम कैसे आये
अहसास तक ना हुआ

आज मैं खुद से ज्यादा
तुम्हें चाहती हूँ
ये कोई जादू या
कहीं कोई
साजिश तो नहीं

मुझे,
मुझसे दूर करने की
बताओ????


(२)

बांये हाथ की
रेखाओं को जोङकर
दांये हाथ से देखा
तो पाया
कि किस्मत
बहुत रंगीन रंग
दिखाने वाली है

हाँ तुम्हारे
हिस्से कि रेखाओं को
जोङकर ही तो
हथेली का आधा
चाँद उगा था

14 comments:

Pratik Pandey said...

वाह... बहुत ख़ूबसूरत कविता है।

Udan Tashtari said...

वाह, वाह, बहुत खुब चाँद उगाया है.

सुंदर कविता-अच्छा लगा पढ़कर.

रजनी भार्गव said...

बहुत सुन्दर लगी

प्रवीण परिहार said...

संगीता जी,
इस खुबसूरत इत्तेफाक की, इस नये अहसास की, और इस नये चाँद की बहुत-बहुत मुबारकबाद।

Anonymous said...

प्रेम के ऊहापोह और बेचैनी को अभिव्यक्त करती बहुत अच्छी कविता . प्रेम में विश्वास बहुत जरूरी है. संदेह धीरे-धीरे आत्मा को कुतर कर रख देता है और प्रेम को भी.

Anil Sinha said...

आपकी ब्‍लाग पर हिन्‍दी के फान्‍ट नहीं दिखायी दे रहे हैं। मैं विण्‍डोज एक्‍सपी और आई.एम.ई. सेटअप द्वारा मंगल फान्‍ट का प्रयोग करता हूं। कृपया बताएं आपका ब्‍लाग मैं कैसे देख व पढ़ सकता हूं।

Anil Sinha said...

नव वर्ष की हार्दिक बधाइयां।
मेरे ब्राउजर में आटो सेलेक्‍ट द्वारा Unicode (UTF-8) हो जाता है पर अभी भी आपके ब्‍लाग में हिन्‍दी फान्‍ट नहीं दिखायी दे रहे हैं। शायद कोई और तकनीकी समस्‍या होगी। मैं किसी अन्‍य जानकार व्‍यक्ति से इस बारे में जानने का प्रयास करूंगा, फिर भी यदि आपके पास इसका कोई और हल हो तो आप कृपया फिर से बतलाने का कष्‍ट करें। आप anilsinha.blog@gmail.com पर भी समस्‍या का समाधान सुझा सकती हैं।

Anonymous said...

भावनाओ का समुंदर उढेंलकर
शब्द रस से भर दिया
बहुत बढिया प्रयास

Mohinder56 said...

भावनाओं का सुन्दर चित्रण किया है आप ने..

मेरे बारे में जानने के लिये मेरे ब्लोग
पर आइये .

www.writer.co.in said...

ये कैसे कर लेती हो तुम? इतना प्यार इस बेपरवाही भरी दुनिया में? मेरी दुआएं हैं कि तुम युं ही लिखती रहो इन नाज़ुक बातों को।

सुनीता शानू said...

संगीता जी आपको अभिव्यक्ती ग्रुप में देखा था..आप एक बहुत ही अच्छी लेखिका है...कवि महोदया इस कविता से साफ़ पता लगता है कि आप जिन्दगी से बहुत प्यार करती है...मेरी शुभकामनाएँ है कि आप हमेशा एसे ही मनमोहक रचना लिखती रहे...बहुत-बहुत बधाई

सुनीता(शानू)

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

अभिव्यक्ति की ईमानदारी और सहजता प्रशंसनीय है.

Yatish Jain said...

"हाँ तुम्हारे
हिस्से कि रेखाओं को
जोङकर ही तो
हथेली का आधा
चाँद उगा था"
साथ के एह्सास की खुशबू को शब्दो मे बयान करना बहुत मुश्किल है जिसे आपने बहुत आसानी से लिख दिया. श्वास मे घुल गये शब्द...
यwww.yatishjain.com

Unknown said...

sunita ji,
khud ka khud se taruff karane ka aur ek naye chand ki paribhasha banae ka bahut khub aandaj hain aapka.
congratulation!