तुमने सिखाया था प्यार
तुमने सिखाया था प्यार क्या वही हैजहाँ तुम लेकर गये मैं बस चलती रही बेखबरमेरी हर तमन्नायें तुम से शुरू होकर तुम पर खत्म थीलेकिन तुम समझाते रहे नहीं ये प्यार नहीं हैआज अरसे बाद मन किया है, तुम्हें सोचकर कुछ लिखने कानसों मे कसाव आ जाता है तुम्हारा ख्याल लाकरऔर तुम कहते रहे नहीं ये प्यार नहीं है
4 comments:
बहुत खूब लिखा है. मुझे लगता है की हालाँकि वो कहते रहे की ये प्यार नही है, लेकिन एक न एक दिन उन्हें ज़रूर एहसास होगा की वो प्यार ही था. फिर उस दिन जाने क्या होगा!
sundar kavita.
बहुत सुन्दर कविता लिखी है। प्यार तो यह भी और वह भी, जहाँ भी, जिसमें भी आपको नजर आ जाए, वह सब है।
घुघूती बासूती
meri har tamannayen tum se shuru hokar tum par khatam thi......... bahut khoob
Post a Comment