Thursday, July 10, 2008

तुमने सिखाया था प्यार


तुमने सिखाया था प्यार

क्या वही है
जहाँ तुम लेकर गये मैं बस
चलती रही बेखबर
मेरी हर तमन्नायें
तुम से शुरू होकर
तुम पर खत्म थी
लेकिन तुम समझाते रहे
नहीं ये प्यार नहीं है

आज अरसे बाद मन किया है,
तुम्हें सोचकर कुछ लिखने का
नसों मे कसाव आ जाता है
तुम्हारा ख्याल लाकर
और तुम कहते रहे
नहीं ये प्यार नहीं है

4 comments:

Anil Kumar said...

बहुत खूब लिखा है. मुझे लगता है की हालाँकि वो कहते रहे की ये प्यार नही है, लेकिन एक न एक दिन उन्हें ज़रूर एहसास होगा की वो प्यार ही था. फिर उस दिन जाने क्या होगा!

L.Goswami said...

sundar kavita.

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर कविता लिखी है। प्यार तो यह भी और वह भी, जहाँ भी, जिसमें भी आपको नजर आ जाए, वह सब है।
घुघूती बासूती

Anil Pusadkar said...

meri har tamannayen tum se shuru hokar tum par khatam thi......... bahut khoob