Thursday, November 25, 2021

 ये बात अब से करीब 30 साल पहले की है, आज बैठे बैठे पता नहीं कहाँ से वो दिन याद आ गए..  कभी कभी लगता है की कितना ठहराव था उस समय में.. सभी लोग फुरसत में होते थे और बोरियत क्या होती है ये वाकई महसूस होता था.. आज कई मर्तबा दिल करता है की काश वो  बोरियत वाले दिन फिर से  क्यों नहीं आ जाते.. सब कुछ मशीन सा लगता है जैसे कारखानों में रखीं बड़ी बड़ी मशीनें बस एक धुन से लगभग एक सी आवाज़ निकालती दिन रात चलती रहती है.. खरड़ खरड़ खरड़ खरड़..... 


हम लोगों की लाइफ भी करीब करीब ऐसी ही हो गई है एक दम सेट पैटर्न , खैर ये तो रही इस ज़माने की बात तो वाकिया कुछ ऐसा था.. 


नीचे अम्मा टीवी से चिपकी बिना पलक झपकाए महाभारत के द्रौपदीदुर्योधन संवाद को कुछ ऐसे देख रही हैं जैसे कल परिक्षा देनी हो छत परचढा पिन्टू बीच बीच मे चिल्लाकर पूछ रहा है अब ठीक हैबताओ.. अम्मा बोलो भी क्या अब ठीक हुआ... अम्मा अजीब सा मुँहनाये जैसे किसी खेलते बच्चे को बीच में छेड़  दिया हो चिडकर बोलतीहै नहीं अभी नहीं गुप्ता जी के घर कि तरफ घुमाओहाँ-हाँ थोडा ठीकहैबस-बस पिन्टू एकदम ठी हो गया ऐसे ही करे रहोअरे म्मा तारपकडे हूँ... ऐसे थोड़े ही ना तार पकड़े रहूँगाअम्मा चीखीं अरे पिन्टू फिरसे खराब हो गया.

लग रहा था कलाकार टीवी से निकलकर घर मे  घुसे हैं और अब यहींअम्मा और पिन्टू द्रौपदीद्रुयोधन संवाद पूरा करेगें...पिन्टू पसीने सेलथपथ नीचे  गया है, क्या अम्मा ये अजीब तमाशा है रो काकितनी मर्तबा कहा है बाबूजी कोनया ऐन्टीना ले आये लेकिन सुनताकौन हैटीवी भी साफ आना हिये और पैसा भी नहीं खर्च करना हैलेकिन अम्मा को तो सिर्फ फसोस है आज इतना इम्पोर्टेन्ट पिसोडमिस हो गया रिपीट टेलीकास् भी तो नहीं आता.. 


आज २६ जनवरी हैअम्मा नाश्ता पानी लेकर बिलकुल तैयार बैठी हैपिन्टू के साथ दयानंद कालोनी में रहने वाले सिन्हा जी के यहाँ जानाहै, कल ही रात को सारी योजना बना ली थी किइस साल की परेडकल टीवी में देखनी हैक्योंकी म्मा ने मिसेज़ गुलाटी को कई बारकहते सुना था... परेड देखने का मज़ा तो कलर टीवी में ही हैक्या सुंदरझांकियां दिखती है फिर सजे हुए हाथी-ऊँट पर बैठे स्कूली बच्चेसभीप्रांत के सिपाही अपनी-अपनी यूनिफॉर्म में... स्कूली बच्चों के लोकनृत्य... बस तभी से अम्मा ने सोचा था किसके घर जाकर २६ जनवरीकी परेड देखी जाये.


सिन्हा जी से बाबूजी कि पुरानी जान पहचान हैंअपनी सुनार कि दुकानचलाते हैखूब पैसा कमाते हैमोहल्ले में तीन चार लोग ही हैं जिनकेयहाँ कलर टेलीविज़न हैकेबल कनेक्शन भी लिया है पिन्टू को जब भीमालूम पडता है कि कोई नई फिल्म आनी है तो कोई ना कोई बहानाकरके पँहुच जाता है उनके वहाँ. बाबू जी को ये बात बिलकुल पसंद नहीं कई बार उनसे डांट खाने के बाद भी उसको कोई चिंता नहीं होती थी.. की बाबू जी ने देख लिया तो आज तो पक्का मार पड़ेगी..  बहुत बार तो माँ ने कुछ ना कुछ बहाना करके बचा लिया लेकिन वह तो बाबू जी थे भाँप ही जाते थे.. माँ ने कई बार कहा की ले क्यों नहीं ले क्यों नहीं लेते कलर टेलीविज़न। फिर पिंटू को डांटते रहते हैं.  बाबू जी बात को आया गया कर देते. 


आज सुबह से पिंटू बहुत खुश था बाहर अंदर कितने चक्कर लगाता कभी घड़ी देखता, कभी माँ को पूछता खाना कब बनेगा.. माँ भी सोचती आज कहाँ जा रहा है बहुत जल्दी में है, तो बड़े खुश होकर बताता आज केबल वाला सनी देओल की घायल फिल्म लगाने वाला है माँ, आज तो मज़ा ही  जाएगा माँ थोड़ा उदास होकर बोलती कितने बजे ख़त्म होगी फिल्म अपने बाबू जी के घर आने से पहले लौट आएगा ना... हाँ हाँ माँ तू चिंता मत कर बाबू जी को कुछ नहीं पता लगेगा.. बस यहाँ वहां जल्दी जल्दी खाना खाया, यहाँ वहां हाथ धोये और भागा जैसे कोई ट्रेन छूटने वाली हो.. माँ पीछे पीछे दौड़ कर चिल्लाते हुए बोलती जल्दी आना, बाबू जी के आने से पहले.. हाँ हाँ माँ तू चिंता मत कर.. 


शाम के 6 कब बजे पता ही नहीं चला, बाबू जी घर आ चुके थे, घर के अंदर घुसते ही पहला प्रश्न यही दागा पिंटू कहाँ है, माँ भी क्या बोलती बोली हाँ कुछ सामान लेने भेजा है बाज़ार आता ही होगा, ये कोई समय है बाजार भेजने का दिन भर क्या करते रहते हो घर में, माँ की चिंता अब बढ़ने लगी थी.. बार बार नज़ारे आंगन के गेट की तरफ मुड़ जाती, मन ही मन इतना गुस्सा आ रहा था पिंटू के उपर कितना लापरवाह है इतनी बार बोलने के बाद भी कोई चिंता नहीं, आज तो पक्का डांट के साथ मार भी पड़ेगी.. अब तक 6 : 30 बज चुके थे और अँधेरा भी घना हो गया था.. बाबू जी ने फिर पूछा कहाँ भेजा है बाजार ही गया है न.. अब इस बार माँ से झूठ नहीं बोला गया और बता ही दिया दिन से गया है केबल में घायल फिल्म आनी थी तो सिन्हा जी के घर ही गया होगा फिल्म देखने.. बाबू जी का पारा बढ़ने लगा आने दो आज इसको घर इसको तो घायल मैं करता हूँ.. अब 7 :00 बज चुके थे... दिन का गया लड़का अब तक घर नहीं लौटा, गुस्से के साथ साथ चिंता भी खाये जा रही थी, बाबू जी से अब घर पर रुकना मुश्किल हो रहा था.. बोल ही उठे मैं देखकर आता हूँ माँ ने कहा रुको में भी चलती हूँ उनको चिंता थी की कहीं सिन्हा जी के घर से भी पीटते पीटते न लाएं... सिन्हा जी के घर पहुंचे तो वहां ताला लगा था पड़ोस में पूछा तो मालूम हुआ वह तो दो दिन से घर पर नहीं हैं.. 


अब तो गुस्सा नहीं सिर्फ चिंता थी कहाँ गया होगा.. किन किन लोगो के घर कलर टेलीविज़न है और केबल कनेक्शन हैं.. माँ जिनको जानती थी सबके नाम गिनाये फिर ये सोचा गया उन सबमें से किन के घर जा सकता  है.. और फिर दो चार घर शॉर्टलिस्ट किये.. एक एक कर सब घर तलाशे लेकिन पिंटू वहां नहीं था माँ तो बिलकुल रोने को थी.. अब क्या करें कहाँ जाए.. थक हारकर घर आये तो पिंटू घर आ चुका था बाबू जी ने देखते ही एक चपत लगा दी और डांटते हुए पूछा कहाँ गये थे.. बाबू जी वह मिश्रा जी के यहाँ, माँ ने सीधे यही पूछा उन्होंने कब लिया कलर टेलीविज़न, माँ पिछले हफ़्ते।। हे भगवान् बस अब हम ही रह गए हैं तेरे बाबू जी कुछ नहीं दिलाने वाले.. इस वाकिये से तो बाबू जी को भी लगा अब तो टेलीविज़न लेना ही पड़ेगा वह भी केबल कनेक्शन के साथ.. 

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